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Wednesday, February 14, 2024

सर्विकल कैंसर वाली वैक्सीन क्या है, इसे क्यों और कौन लगवा सकता है?

 गुरुवार को अंतरिम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एलान किया कि सर्विकल कैंसर की रोकथाम के लिए 9-14 साल की बच्चियों को प्रोत्साहित किया जाएगा.



ऐसे में यह चर्चा होने लगी कि आख़िर यह कैंसर होता क्या है और इसे एक वैक्सीन की मदद से कैसे टाला जा सकता है.

सर्विकल कैंसर का मतलब है सर्विक्स (cervix) से शुरू होने वाला कैंसर. सर्विक्स को हिंदी में गर्भाशय ग्रीवा या बच्चेदानी का मुंह भी कहा जाता है.

ये महिलाओं को होने वाले कैंसर के चार मुख्य प्रकारों में भी शामिल है और इसकी वजह से दुनियाभर में हर साल तीन लाख से ज़्यादा महिलाओं की मौत होती है.

लेकिन शोध बताते हैं कि अगर इसकी रोकथाम के लिए बनी वैक्सीन ली जाए तो सर्विकल कैंसर के मामलों में नब्बे फ़ीसदी की कमी लाई जा सकती है.

सर्विकल कैंसर से बचाने वाली इस वैक्सीन को एचपीवी वैक्सीन कहा जाता है.

यहां एचपीवी का मतलब ह्यूमन पैपिलोमा वायरस है जिसे सर्विकल कैंसर के 95 फ़ीसदी से ज़्यादा मामलों के लिए ज़िम्मेदार माना जाता है.

एचपीवी वैक्सीन क्या है?

वैक्सीन

इमेज स्रोत,GETTY IMAGES

एचपीवी वैक्सीन नौ तरह के एचपीवी वायरस से सुरक्षा करती है.

इन नौ में से दो वायरस ऐसे होते हैं जो सर्विकल कैंसर के ज़्यादातर मामलों के लिए ज़िम्मेदार होते हैं.

इनकी वजह से ज़्यादातर एनल कैंसर, जेनिटल कैंसर (जनन अंगों में होने वाला कैंसर) और सिर एवं गर्दन के कैंसर होते हैं.

अध्ययनों में सामने आया है कि इस वैक्सीन की वजह से कम से कम दस साल तक एचपीवी संक्रमण से बचा जा सकता है.

हालांकि, विशेषज्ञ मानते हैं कि ये टीकाकरण इससे भी ज़्यादा समय तक सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम है.

अब तक हुए शोध से पता चला है कि यह वैक्सीन सर्विकल कैंसर के मामलों में नब्बे फ़ीसद की कमी ला सकती है.

एचपीवी वैक्सीन क्या है?

वैक्सीन

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एचपीवी वैक्सीन नौ तरह के एचपीवी वायरस से सुरक्षा करती है.

इन नौ में से दो वायरस ऐसे होते हैं जो सर्विकल कैंसर के ज़्यादातर मामलों के लिए ज़िम्मेदार होते हैं.

इनकी वजह से ज़्यादातर एनल कैंसर, जेनिटल कैंसर (जनन अंगों में होने वाला कैंसर) और सिर एवं गर्दन के कैंसर होते हैं.

अध्ययनों में सामने आया है कि इस वैक्सीन की वजह से कम से कम दस साल तक एचपीवी संक्रमण से बचा जा सकता है.

हालांकि, विशेषज्ञ मानते हैं कि ये टीकाकरण इससे भी ज़्यादा समय तक सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम है.

अब तक हुए शोध से पता चला है कि यह वैक्सीन सर्विकल कैंसर के मामलों में नब्बे फ़ीसद की कमी ला सकती है.

ये वैक्सीन कौन ले सकता है?

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अगर लड़की या लड़का एचपीवी वायरस के संपर्क में आने से पहले यह वैक्सीन लें तो ये अच्छे ढंग से काम करती है.

ऐसा इसलिए, क्योंकि वैक्सीन सिर्फ़ संक्रमण रोक सकती है. संक्रमित हो जाने पर यह उस वायरस को बाहर नहीं निकाल सकती.

ये वायरस इतने आम हैं कि संक्रमण से बचने के लिए यौन संबंध बनाने की उम्र से पहले यानी बचपन में वैक्सीन लगाना ज़्यादा बेहतर समझा जाता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि इस वैक्सीन की एक या दो डोज़ दी जानी चाहिए. जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है, उन्हें दो या तीन डोज़ देनी चाहिए.

एचपीवी वायरस क्या है?

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एचपीवी का पूरा नाम ह्यूमन पैपिलोमा वायरस है. एचपीवी के तहत सौ से ज़्यादा तरह के वायरस आते हैं.

इनसे संक्रमित होने पर आमतौर पर किसी तरह के लक्षण नहीं होते. मगर कुछ एचपीवी वायरस के संपर्क में आने से त्वचा पर मस्सों जैसी गांठें पड़ सकती हैं.

ये मस्से आपके हाथ, पैर, जननांग और मुंह के अंदर नज़र आ सकते हैं.

हालांकि, ज़्यादातर लोगों को पता नहीं चलता कि वे संक्रमित हैं और उनका शरीर बिना किसी इलाज के वायरस से मुक्ति पा लेता है.

मगर, एचपीवी के कारण कुछ लोगों की कोशिकाओं में असामान्य ग्रोथ हो सकती है, जो कैंसर का रूप ले सकती है.

किसे है संक्रमित होने का ख़तरा?

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एचपीवी से आसानी से संक्रमित हो सकते हैं क्योंकि ये वायरस बहुत ज़्यादा संक्रामक होते हैं.

ये वायरस त्वचा से त्वचा के संपर्क में आने पर फैलते हैं.

लगभग 80 प्रतिशत लोग 25 साल की उम्र तक एचपीवी से संक्रमित हो जाते हैं. ज़्यादातर मामलों में लोग 18 महीनों से दो साल तक संक्रमित रहते हैं.

तकनीकी तौर पर यह यौन संक्रामक रोग नहीं है क्योंकि यह गोनोरिया जैसी बीमारियों की तरह यौन अंगों से निकलने वाले द्रव्यों से नहीं फैलता.

फिर भी यह यौन संपर्क और यहां तक कि छूने से भी फैल सकता है.

दुनिया में एचपीवी वैक्सीन कितनी उपलब्ध है?

इथियोपिया में एक बच्चे वैक्सीन लगाई जा रही है

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इथियोपिया में एचपीवी वैक्सीन उपलब्ध करवाई जाती है

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक़, सर्विकल कैंसर की वजह से होने वाली लगभग नब्बे फ़ीसद मौतें कम या मध्यम आयवर्ग वाले देशों में होती हैं.

इन देशों में सर्विकल कैंसर की तब तक पहचान नहीं होती, जब तक यह एडवांस्ड स्टेज में नहीं पहुंच जाता या उसके लक्षण सामने नहीं आते.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पहले कहा था कि वह साल 2030 तक नब्बे फ़ीसदी लोगों को एचपीवी वैक्सीन लगाकर अगली सदी के अंदर इसके संक्रमण से निजात पाने की दिशा में काम कर रहा है.

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक़, क़रीब 140 देशों ने एचपीवी वैक्सीन देने की शुरुआत कर दी है.

जिन देशों में एचपीवी वैक्सीन लगाई जा रही है. हर महाद्वीप में वैक्सीन लगाने वाले देशों का प्रतिशत.  .

समाप्त

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़, महिलाओं में सर्विकल एचपीवी के सबसे ज़्यादा मामले सब-सहारा अफ़्रीका (सहारा रेगिस्तान के नीचे का इलाक़ा) में पाए जाते हैं.

दुनिया के कुल मामलों के क़रीब 24 फ़ीसदी यहीं सामने आते हैं.

इसके बाद लातिन अमेरिका और कैरिबियाई द्वीपों में 16 प्रतिशत, पूर्वी यूरोप में 14 और दक्षिण पूर्व एशिया में 14 प्रतिशत मामले पाए जाते हैं.

इसकी वजह कम जांच होना, इलाज तक पहुंच न होना और वैक्सीन के प्रति हिचक होना बताया जाता है.

अफ़्रीका में रवांडा एचपीवी वैक्सीन देने का अभियान शुरू करने वाला पहला देश था.

साल 2011 में इस अभियान को शुरु करते हुए छोटी बच्चियों को वैक्सीन देना और महिलाओं की जांच करना शुरू किया गया था,.

वैक्सीन से सर्विकल कैंसर होने के आसार कम हो जाते हैं, लेकिन यह तरीक़ा हर तरह के एचपीवी के ख़िलाफ़ कारगर नहीं होता.

इसलिए ज़रूरी है कि 25 वर्ष की उम्र के बाद महिलाओं को समय-समय पर सर्विकल स्मीयर टेस्ट करवाते रहना चाहिए ताकि सर्विक्स की कोशिकाओं में किसी असामान्य बदलाव का पता चल सके.

This article has been taken from:https://www.bbc.com/hindi

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